भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेम का सामजिक रूप / प्रिया जौहरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रेम कहानियो में एक गति होती है
जो और भी तेजी से फैलाती है
जब इसकी चर्चा दबी ज़ुबान से की जाती है
ये कथाएँ लावारिस होती हैं
लोग अपनी कल्पनाओं और रूचि के मुताबिक
मनचाहा मसाला मिला कर अगले को परोसते हैं
अगर कहानी के नायक या नायिका से
आपकी दुश्मनी हो तो उसे किंचित
अश्लील बनने से कोई नहीं रोक सकता !