भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेम की अमर पुरी (कविता का अंश ) / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कविता का एक अंश ही उपलब्ध है। शेष कविता आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेजें ।
प्रेम की अमर पुरी (कविता का अंश )
मुझे प्रेम की अमर पुरी में अब रहने दो।
अपना सब कुछ देकर कुछ आंसू लेने दो,
प्रेम की पुरी जहां रूदन में अमृत झरता,
जहां सुधा का स्त्रोत उपेक्षित सिसकी भरता,
जहां देवता रहते लालायित मरने को,
मुझे प्रेम की अमर पुरी में अब रहने दो।
मुझको चूमो मुझे हृदय के बीच छुपाओ,
मुझको अपने यौवन का श्रंगार बनाओ।