प्रेम की दयनीयता / हरिवंश राय बच्चन / विलियम बटलर येट्स
प्रेमी का अन्तर
कितना दयनीय हुआ करता है,
इसको शब्द नहीं कोई कह पाया ।
लोग लगे जो
क्रय-विक्रय में,
बादल जो नभ में तिरते हैं,
जो नम-सर्द हवाएँ हरदम चलती रहतीं,
जो मटमैला पानी बहता
घन-वृक्षों की घन छाया की अँधियाली में —
वे सब के सब —
धमकी देते हैं उस मुख की सुन्दरता को
जिससे मैंने नेह लगाया ।
प्रेमी का अन्तर
कितना कातर होता है,
इसको शब्द नहीं कोई कह पाया ।
मूल अँग्रेज़ी से हरिवंश राय बच्चन द्वारा अनूदित
लीजिए अब पढ़िए यही कविता मूल अँग्रेज़ी में
William Butler Yeats
The Pity of Love
A pity beyond all telling
Is hid in the heart of love:
The folk who are buying and selling,
The clouds on their journey above,
The cold wet winds ever blowing,
And the shadowy hazel grove
Where mouse-grey waters are flowing,
Threaten the head that I love.