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प्रेम की पाठशाला / भारत यायावर
Kavita Kosh से
बान्ध दो हाथ मेरे
फिर भी उनमें स्पर्श भरा होगा तुम्हारा
बान्ध दो पाँव
छोड़ आओ किसी बियावान में
तुम तक पहुँच जाएँगे
बान्ध दो पट्टी आँखों पर
किन्तु वे देखती रहेंगी
अपलक तुम्हें
चाहो तो सी दो मुख
पर तुम तक ज़रूर पहुँचेगी
मेरी पुकार !