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प्रेम दिवाने जो भये पलटि गयो सब रूप / सहजोबाई
Kavita Kosh से
जिस किसी को ईश्वर की लगन लग जाती है, उससे सच्चा अनुराग हो जाता है, उसकी दशा ही और की और हो जाती है। सहजो का कहना है:-
प्रेम दिवाने जो भये पलटि गयो सब रूप।
'सहजो' दृष्टि न आवई, कहा रंक कहा भूप॥
प्रेम दिवाने जो भये, नेम धरम गयो खोय।
'सहजो' नर नारी हंसैं, वा मन आनँद होय॥
प्रेम दिवाने जो भये, 'सहजो' डिगमिग देह।
पाँव पड़ै कितकै किती, हरि संभाल जब लेह॥
प्रेम लटक दुर्लभ महा, पावै गुरु के ध्यान।
अजपा सुमिरन करत हूँ, उपजै केवल ज्ञान॥