भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेम पर कुछ बेतरतीब कविताएँ-2 / अनिल करमेले

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह कितना महान क्षण था
जब शुरू किया मैंने
तुम्हें अपने भीतर महसूसना

वही जीवन का चरम था
मेरी मृत्यु
धीमी ।