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प्रेम मिलने के साथ / रुस्तम
Kavita Kosh से
यूँ ही जियूँगा अभाव
तुम्हारे साथ, तुम्हारे साथ रह कर।
यह सत्य था या सुन्दरता
जिसे खो दिया है मैंने?
जीवन निकल गया है हाथों से।
घुमक्कड़ी था प्रेम मेरा। यहाँ-वहाँ भटकता।
ढूँढ़ता जो भीतर था। चला गया, बस चला गया।
चला गया। उसे जाना था। शब्द-शब्द जोड़ता
यूँ ही जियूँगा अभाव जो मुझे मिल गया था
प्रेम मिलने के साथ।