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प्रेम में भीगे हुए कुछ फूल / रोहित रूसिया
Kavita Kosh से
तुम्हारा साथ देंगे
दूर तक
प्रेम में भीगे हुए
कुछ फूल
अपने सूखने के
बाद भी
पंखुरी पर बाँसुरी से
गीत गाते पल रहेंगे
रंग फीके हों भले पर
प्यार के सम्बल रहेंगे
गंध मीठी-सी
मधुर मकरंद की
यूँ ही रहेगी
हाँ, समय के
बीतने के बाद भी
था कहा तुमने
जो बिछुड़ेंगे तो
मिल न पायेंगे
बस समय की धार में
डूबेंगे और
बह जायेंगे
क्यों मगर
उतना लबालब
ही भरा है
प्रेम का घट
रीतने के बाद भी
जिन लकीरों ने
लिखी थी
हाथ और
माथे पर ख़ुश्बू
वक्त ने
धो दिया
किस्मत का जादू
एक अरसा हो गया
पर दिल नहीं बदला
अभी भी
साथ तेरा
छूटने के बाद भी