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प्रेम में लड़की / प्रदीप कुमार
Kavita Kosh से
वो
मेरा कहना मानती है
बेहद अनुशासनप्रिय
अपने सभी कामों में रहती है हमेशा अव्वल
वो खुश रहना जानती है
और बाखूबी अपना बनाना भी
उसके किसी भी प्रयास में
कभी स्वार्थ नहीं झलकता
वो अध्यापकों, दोस्तों और मौहल्लें में सबकी चहेती।
अचानक बदल जाते हैं
उसके सुर
हो जाती है घोर विरोधी सबकी
जब कोई उसे
मान-मर्यादा समझाने का प्रयत्न करता है
हाँ
आज वह प्रेम में है
और प्रेम में पड़ी लड़की
सिर्फ प्रेम समझती है॥