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प्रेम रात्रि / लुइज़ा फ़ामोस
Kavita Kosh से
सारे सितारे
आकाश के
गिर गए हैं
पतझड़ की पत्तियों की तरह
मेरी बाहों में
उजले दिन की हवा
कहाँ खदेड़ दिया है
तुमने उन्हें?
मृत्यु के पंख ने
मुझे छुआ
जून में
एक सोमवार की तिपहरिया में
छुआ भर था उसने मुझे
मृत्यु के पंख ने
जून में
एक सोमवार की तिपहरिया में
जब बाग में
फूल खिल रहे थे
धूप में
और एक चिड़िया
बहुत ऊपर अपने चक्कर लगा रही थी
फिर आई रात
हालाँकि अँधियारा नहीं हुआ
सितारे अपनी राह पर चलने लगे
और तुम हे ईश्वर
मेरे बहुत समीप थे
अनुवाद : विष्णु खरे