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प्रेम रोॅ दीया / बिंदु कुमारी
Kavita Kosh से
भंवरा रोॅ गुंजन नेॅ
नया रितु बोलैलेॅ छै।
सांसोॅ के सरगम नेॅ
आँखी के परिभाषा नेॅ
नया सपना संजोलेॅ छै।
कामिनीरूपी-काया नॅे
खुशबू चहुँ ओर फैलैलेॅ छै।
हर होठों मेॅ यार रोॅ ज्योति जगलोॅ छै
तन मॅे सिरहन, दिल मेॅ दिलासा छै
आपनोॅ आँखी मेॅ जगलोॅ जे आशा छै।
द्वेष, ईर्ष्या, त्यागी दुनिया केॅ
सबकेॅ गला लगाबै छी।
आपनोॅ कर्मों के एक दीया जलाय केॅ
हरदम हम्मेॅ मुस्कुरावै छी।
सुख कहियोॅ हमरा राश नै एैलै
हम्मेॅ दीया बनी केॅ अन्हार भगावै छी।
जहाँ जबेॅ भी देखोॅ हमरा
प्रेम के दीया जराबै छै।
समाज मेॅ प्रेम-सद्भाव के
एक दीया हम्मेॅ जराबै छी।