भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेम विषयक नन्ही कविताएँ / विपिन चौधरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रेम की सफ़ेद रोशनी
आत्मा के बीच से हो कर गुजरी
और वह मेरा जीवन सात रंगों में बिखर गया



प्रेम,
पहले एक बिंदु पर
ठहरा
फिर
यकायक भगवान् हो गया



प्रेम के पास अक्सर समय कम ही रहा
चुपचाप से आकर
वह गुज़र गया
और बजरबट्टू सी दुनिया अपनी पलकें झपका कर
टूटते हुए तारों को देखती रह गयी



कोई पूछ बैठता है
आज भी लिखती हो प्रेम कविताएँ
तो इस प्रश्न पर मैं एकदम मौन हो जाया करती हूँ