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प्रेम विषयक नन्ही कविताएँ / विपिन चौधरी
Kavita Kosh से
प्रेम की सफ़ेद रोशनी
आत्मा के बीच से हो कर गुजरी
और वह मेरा जीवन सात रंगों में बिखर गया
प्रेम,
पहले एक बिंदु पर
ठहरा
फिर
यकायक भगवान् हो गया
प्रेम के पास अक्सर समय कम ही रहा
चुपचाप से आकर
वह गुज़र गया
और बजरबट्टू सी दुनिया अपनी पलकें झपका कर
टूटते हुए तारों को देखती रह गयी
कोई पूछ बैठता है
आज भी लिखती हो प्रेम कविताएँ
तो इस प्रश्न पर मैं एकदम मौन हो जाया करती हूँ