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प्रेम होता है जिस क्षण / ज्योति रीता
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					प्रेम 
होता है जिस क्षण 
उसी क्षण 
वह हो जाता है तुम्हारा 
बंद आँखों से देख लो 
बढ़ाकर हाथ छू लो 
उनका अनायास चूमना ललाट 
चारों ओर जैसे प्रतिकूलता में 
प्रहरी हो 
संजीवनी हो
समग्र सुरक्षा घेरा भी
समाहित हूँ इन दिनों 
या गिरवी रख छोड़ा है 
कोई तो है 
किस्त चुका रही जिसका
बंद आंखों के कोर से 
जो बह जाता है अक्सर 
वह तैरता है हवाओं में 
स्वच्छंद सा 
मैं किसी डाल पर 
एक घोंसला बना रही हूँ 
चुप-चाप / धीरे-धीरे 
छुप-छुप कर देखती हूँ 
उसके फड़फड़ाते पंख 
कह रहा होता है 
मैं हूँ 
तुम बना लो घोंसला 
पर देखना 
थोड़ी मजबूती हो 
हवा का रूख
इन दिनों बदहवास-सा है 
कहीं गिर कर 
तुम्हें गिरा ना दे 
देखना 
सहेजते वक़्त 
वैसे 
मैं हूँ!
	
	