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प्रेम / अनन्या गौड़
Kavita Kosh से
प्रेम इस जीवन का मूल आधार होता है
निश्चल भावों का इसमें संचार होता है
इक मन दूजे मन को तब ही पढ़ पाता है
ईश्वर का जब हम पर यह उपकार होता है
दुनिया में जीना सुनो आसान नहीं होता
जीत लेगा निज मन, वही बस पार होता है
राहों पर असत्य की यहाँ जो भी है चलता
जीवन उसका तो हाँ केवल खार होता है
परवाह करे जो अपनों की जान से बढ़कर
जीतने हर बाजी वही तैयार होता है
कर लो तुम चाहे पूरी दुनिया का भ्रमण
चरणों में मात पिता के संसार होता है