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प्रेम / अनुलता राज नायर
Kavita Kosh से
मैंने बोया था उस रोज़
कुछ,
बहुत गहरे, मिट्टी में
तुम्हारे प्रेम का बीज समझ कर.
और सींचा था अपने प्रेम से
जतन से पाला था.
देखो!
उग आयी है एक नागफनी...
कहो!तुम्हें कुछ कहना है क्या??