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प्रेम / राजेश कमल
Kavita Kosh से
कबूतरों वाला जमाना गया
प्रेम फिर भी बचा रहा
जमाना तो संदेशियों वाला भी चला गया
प्रेम फिर भी बचा रहा
यहाँ तक की चिट्ठियों वाला भी जमाना गया
प्रेम फिर भी बचा है
साइबर युग का प्रेम अभी जारी है
कभी कभी तो जलन-सी होती है
इस युग के मुहब्बतियों से
एक दिन यह युग भी चला जाएगा
प्रेम फिर भी बचा रहेगा