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प्रेम / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
मौन
क्या कुछ नहीं कहता
शब्द और भाषा के बिना
उपस्थिति भी क्या जरुरी है
सुने
कहे
छुए बिना
प्रेम होने दो