प्रेम / सिर्गेय तिमफ़ेइफ़ / अनिल जनविजय
मैं कहाँ जाऊँगा
प्रेम की इस काली पगडण्डी पर।
तुम्हारे पेट में
बन्द कर दी गई है मेरी अँगूठी
टेप लगाकर।
इतालवी फ़ोटोग्राफ़र
जल्दी-जल्दी
खींच रहा है तस्वीरें।
जिनमें तुम
फिर से ख़ूबसूरत दिखाई दे रही हो।
तेज़ ठण्डी हवा में
सर्दियों के सफ़ेद दास्तानों में भी
जम जाती हो तुम
और उसी लाल पोशाक में
काँपती रहती हो होटल के पास।
और मैं समझ नहीं पाता
कहाँ मिलोगी तुम
जबकि तुम मेरे आसपास ही हो
अपने कमरे के फर्श पर।
मूल रूसी भाषा से हिन्दी में अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Сергей Тимофеев
ЛЮБОВЬ
Куда я уйду
по черной тропинке любви.
Колечко заклеено пластырем
на твоем животе.
Итальянский фотограф
делает быстрые снимки.
На них видно:
ты вновь красива.
Вот ты замираешь в воздухе
в белых перчатках зимы,
вот в чем-то красном
дрожишь у отеля.
И я не понимаю,
где найти тебя,
даже когда ты рядом,
на полу в твоей комнате.