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प्रेरणा / ओम व्यास
Kavita Kosh से
दीपक!
तुम मर्यादा में रहकर
बाती के साथ पूरी पूरी रात
तिमिर से लड़ते रहे
तेज हवाओं में अड़ते रहे,
संकल्प की मुट्टी ताने।
सच है!
'मशाल' होने से अच्छा है,
'दीपक' होना।
छोटा मगर मिट्टी से जुड़ा,
तुम्हारे लघु सार्थक जीवन को प्रणाम
नहीं है किसी और के हाथों तुम्हारी लगाम...