अपनी सीरत व शख्सियत को संवारने और उस्तवार करने में आप को कैसी कैसी सब्र-आज़मा आजमाइशों से गुज़रना पड़ा, उस की झलक आप के कलाम में वाज़े तौर पर मिलती है। ये इम्तियाज़ ऐसा है जिस पर आप ब-हैसियत शख्स व शायर बजा तौर पर फख्र कर सकते हैं और यक़ीनन हम सब की तहनियत के मुस्तहिक़ हैं।