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फकीरी में भी हम रखते है कायम शाने-सुल्तानी / शोभा कुक्कल
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फकीरी में भी हम रखते है कायम शाने-सुल्तानी
इसी बाइस चमकती है हमेशा अपनी पेशानी
ख़ुदा के नेक बन्दे एक से रहते हैं हर सूरत
परेशानी में भी जाती नहीं चेहरे की ताबानी
तबीयत की रवानी को कभी थमने न देना
यही पैग़ाम देता है हमें बहता हुआ पानी
हमारे देश के अहले-कलाम का ये मुक़द्दर है
हुए जब ख़ाक तो फिर क़द्र उनकी जग ने पहचानी
दिनों का फेर इंसान को कहां तक फार करता है
कभी रहती थी महलों में जिसे कहते हो दीवानी।