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फगत म्हैं क्यूं / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
अचंभै री बात मानीज सकै
इण इक्कीसवैं सईकै में
किणी नैं हर हुय सकै
किणी सहर सूं।
बूझ्यो जा सकै सवाल
इण रुंआळी आवतै सहर में
अैड़ो कांई है-
जिण माथै फि दा हुयो जावै!
जायज बात-
अठै मेट्रो कोनी
मल्टीप्लेक्स मॉल कोनी
सिटी बसां रो कोनी बंदोबस्त
सीवरेज कोनी सावळसर
महानगरां सूं कोनी कर सकै होड़
किणी भांत
जठै हुवै सगळो सुभीतो।
अैड़ा सवालां रो पडूत्तर
फ गत म्हैं क्यूं देवूं
ओ सहर! थूं ई तो कीं बोल
इकतरफो हेत कोनी म्हारो
थंनैं ई तो कीं हुवैला हर म्हारै सूं।