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फटी लंगोटी खड़ाऊ गांधी का यह देश / ओम निश्चल

फटी जीन्स पर मचा है भारत में कोहराम
फटी लंगोटी पर नही कोई भी संग्राम ।

यह भारत की सभ्यता औ’ संस्कृति पर चोट
खद्दरधारी कह रहा जिसके मन में खोट ।

अपरिग्रह के मंत्र सब हुए यहाँ बेकार
फटी जींस ही खोलती कामुकता के द्वार ।

भारत माँ की चूनरी पर न किसी का ध्यान ।
रफू करा कर ढापती जो होकर मुख म्लान ।

अधकचरी इस सभ्यता के हम रंगे सियार
हम पर कछू न व्यापता लुट जाए सरकार ।

फटी लंगोटी खड़ाऊ गांधी का यह देश
अपनी नग्न प्रजाति पर कभी न पहुँची ठेस ।