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फरक कांई / राजूराम बिजारणियां
Kavita Kosh से
मुट्ठी में
भींच‘र
दाब्योड़ी
जूण
छिणेक में
सुरसुरा‘र
बण जावै
रेत!
पानां री ओळ्यां में
पळती प्रीत
जोड़ पानैं सूं पानो
हर्यो कर देवै
हेत!
फरक कांई..?
देख.!
अेकै कांनीं
प्राण बिहूणा
दूजै कांनीं
महक!!