भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फरेबी दुनिया / बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा ‘बिन्दु’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्यार करते हो तुम बात छुपेगी कहाँ
जिंदगी की ये गाड़ी अब रुकेगी कहाँ ।
दिल का रिश्ता है ये, प्रेम बंधन कहो
खोट मन में हुआ तो ये जमेगी कहाँ ।
फरेबी दुनिया में इश्क दिखावा हुआ
नादान रहे तो बात जमेगी कहाँ ।
खेल पल में ही ऐसे बिगड़ जाता है
भूल हुई जो वो फिर से बनेगी कहाँ ।
दाग दामन में लगा तो इज्ज़त गई
सच बोलो जितना पाप कटेगी कहाँ ।
बड़ी मुश्किल से बन पाता है आदमी
जो गिर गये नज़र से फिर उठेगी कहाँ ।
हीर – रांझा बनोगे तो मर जाओगे
तेरे सामने जगत अब झुकेगी कहाँ