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फलाणे की बहु का घागरा / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
(यहां किसी का भी नाम लिया जा सकता है जिसे सींठने दिये जाते हैं) की बहू का घागरा
धोबी धोए रे छिनाल
रे धइआं
धौंदे धौंदे बह गया
खड़ी रोवै रे छिनाल
रे धइआं
म्हारा...(अपने पक्ष के किसी पुरुष का नाम) न्यू कहै
क्यूं रोवै रे छिनाल
रे धइआं