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फ़क़त ज़मीन से रिश्ते को उस्तुवार किया / सगीर मलाल
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फ़क़त ज़मीन से रिश्ते को उस्तुवार किया
फिर उस के बाद सफ़र सब सितारा-वार किया
बस इतनी देर में आदाह हो गए तब्दील
कि जितनी देर में हम ने उन्हें शुमार किया
कभी कभी लगी ऐसी ज़मीन की हालत
कि जैसे उस को ज़माने ने संगसार किया
जहान-ए-कोहना अज़ल से था यूँ तो गर्द-आलूद
कुछ हम ने ख़ाक उड़ा कर यहाँ ग़ुबार किया
बशर बिगाड़ेगा माहौल वो जो उस के लिए
न जाने कितने ज़मानों ने साज़गार किया
तमाम वहम ओ गुमाँ है तो हम भी धोका हैं
इसी ख़याल से दुनिया को मैं ने प्यार किया
न साँस ले सका गहराइयों में जब वो ‘मलाल’
तो उस केा अपने ज़जीरे से हम-कनार किया