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फ़क़ीरों की तरह धूनी रमाकर देखिये साहब / जयकृष्ण राय तुषार
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फ़क़ीरों की तरह धूनी रमाकर, देखिए साहब !
तबीयत से यहाँ गंगा नहाकर, देखिए साहब !
यहाँ पर जो सुकूँ है, वो कहाँ है भव्य-महलों में
ये संगम है, यहाँ तम्बू लगाकर, देखिए साहब !
हथेली पर उतर आएँगे ये संगम की लहरों से
परिंदों को मोहब्बत से बुलाकर, देखिए साहब !
ये गंगा फिर बहेगी तोड़कर मज़बूत चट्टानें
जो कचरा आपने फेंका, हटाकर देखिए साहब !