भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फ़ित्ना-आरा शोरिश-ए-उम्मीद है मेरे लिए / महरूम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

फ़ित्ना-आरा शोरिश-ए-उम्मीद है मेरे लिए
ना-उम्मीदी राहत-ए-जावेद है मेरे लिए

देखता हूँ हर कहीं हुस्न-ए-अज़ल का इनइकास
ज़र्रा ज़र्रा ग़ैरत-ए-ख़ुर्शीद है मेरे लिए

साफ़ आता है नज़र अंजाम हर आग़ाज़ का
ज़िंदगानी मौत की तम्हीद है मेरे लिए

जाग उठती है तह-ए-दामान-ए-शब से सुब्ह-ए-नौ
मौत क्या है ज़ीस्त की तजदीद है मेरे लिए