फ़ैसला तुमको भूल जाने का
इक नया ख़्वाब है दीवाने का
दिल कली का लरज़ लरज़ उठा
ज़िक्र था फिर बहार आने का
हौसला कम किसी में होता है
जीत कर ख़ुद ही हार जाने का
जिंदगी कट गई मनाते हुए
अब इरादा है रूठ जाने का
आप 'शहज़ाद' की न फ़िक्र करे
वो तो आदी है ज़ख्म खाने का