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फ़ोटोग्राफ़र बन्दर जी / दीनदयाल शर्मा
Kavita Kosh से
चले बन्दर जी कैमरा लेकर
ढूँढ़ऩे सुन्दर सीन
चौराहे पर बजा रहा था
कोई सपेरा बीन ।
फन फैलाकर साँप आ गया
बन्दर जी के पास
घबराकर बन्दर जी बोले
हो गया सत्यानाश
कैमरे की क्लिक भूल गए
शक्ल हो गई पीली
बुरी तरह से डरे बन्दर जी
पैण्ट हो गई गीली ।।