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फ़ोटो के बाहर चिड़िया / सुधांशु उपाध्याय
Kavita Kosh से
फ़ोटो में है
सबकुछ लेकिन
चिड़िया उसके बाहर है
जंगल झरने पेड़ पहाड़
हँसती फ़सलें गाते खेत
नावें नदिया चलती लहरें
होंठों पर मटमैली रेत
एक गिलहरी
आगे-आगे
और दौड़ता पीछे डर है
जल के सोते रिसता पानी
दौड़ रहे हिरनों के बच्चे
इस कोने में उड़ती तितली
उस कोने किरनों के बच्चे
एक धूप का
नाज़ुक टुकड़ा
और रात का खंजर है
लोग मवेशी गली बगीचे
पीपल की दुमकटी छाँव है
कच्चे घर में कई औरतें
कई पाँव में एक पाँव है
एक अरगनी
बिलकुल ख़ाली
और हवा का चक्कर है
चिड़िया है फ़ोटो के बार
सोच रही कुछ करने को
और फ्रेम का ख़ाली कोना
सोच रही है भरने को
एक पंख में
नील गगन है
एक पंख में सागर है