भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फाग गीत / 5 / भील

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

नेणा में काजलियो छोरी, लालाड़ी में टीकी रे॥
भएलो परदेस बैठो, लिख दो चिठी रे, वेगो आवे रे॥
हाँ रे वेगो आवे रे, फागण रो मीनो एलो जाए रे,
मीनो फागण रो।

- प्रेयसी के नयनों में काजल लगा है और ललाट पर टीकी लगी है। वह कहती है- प्रेमी पदरेश में बैठा है, पत्र लिख दो, जल्दी आये, क्योंकि फाल्गुन मास व्यर्थ ही बीत रहा है।