भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
फिक्र-ए-तामीर-ए-आशियाँ भी है / नासिर काज़मी
Kavita Kosh से
फिक्र-ए-तामीर-ए-आशियाँ भी है
खौफ-ए-बे माहरी-ए-खिजाँ भी है
खाक भी उड़ रही है रास्तों में
आमद-ए-सुबह-ए-समाँ भी है
रंग भी उड़ रहा है फूलों का
गुंचा-गुंचा सर्द-फसाँ भी है
ओस भी है कहीं-कहीं लरज़ाँ
बज़्म-ए-अंजुमन धुआँ-धुआँ भी है
कुछ तो मौसम भी है ख़याल अंगेज़
कुछ तबियत मेरी रवाँ भी है
कुछ तेरा हुस्न भी है होश-रुबा
कुछ मेरी शौकी-ए-बुताँ भी है
हर नफ्स शौक भी है मंजिल का
हर कदम याद-ए-रफ्तुगाँ भी है
वजह-ए-तस्कीं भी है ख़याल उसका
हद से बढ़ जाये तो गिराँ भी है
ज़िन्दगी जिस के दम से है नासिर
याद उसकी अज़ाब-ए-जाँ भी है