भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
फिरंगी सरकार मूंगी तै अपणी / रणवीर सिंह दहिया
Kavita Kosh से
फिरंगी सरकार मूंगी तै अपणी बात सुणाणी चाही॥
असैम्बली मैं बम फैंकण की फेर पुख्ता स्कीम बनाई॥
आठ अप्रैल का दिन छांट्या थोड़ा खुड़का करने का
अहिंसा वेफ ढंग तै फिरंगी सोच्या नहीं सै डरने का
जनता मैं जोश भरने का सही रास्ता टोहया भाई॥
दमनकारी कानून देश पै वे लगाया चाहवैं थे
क्रान्तिकारी बात अपणी उड़ै पहोंचाया चाहतैं थे
फिरंगी नै बताया चाहवैं थे तूं सै जुलमी अन्याई॥
बम पैंफक्या उसकी गेल्यां बांट्या एक परचा था
पूरी दुनिया मैं उस दिन हुया गजब चरचा था
कुर्बानी का भारया दरजा था भगतसिंह नै फांसी खाई॥
परचे मैं लिख राख्या था किसा भारत हम बणावांगे
सबनै शिक्षा काम सबनै हिन्द की श्यान बढ़ावांगे
जात पात नै मिटावांगे रणबीर की या कविताई॥