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फिर उनको देखा तो आँखें भरी हैं / राजेश चड्ढा

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फिर उनको देखा तो आँखें भरी हैं
अभी तो पुरानी ही चोटें हरी हैं

हमसे तो लफ़्ज़ों का बयान मुश्किल
तेरा लब हिलाना ही शायरी है

उसने कहा था कि बातें ख़त्म हैं
जला दो ये जितनी क़िताबें धरी हैं

किस्सा नहीं है ये इल्म-ओ-अदब
कभी तुमने अपनी हक़ीक़त पढ़ी है।