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फिर गौरैया / नवनीता देवसेन / मीता दास

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मुझे तुम मत कहना फिर
परी बनने के लिए
मैं और परी नहीं बन पा रही
किसी भी प्रहर में नहीं ।

चन्द्रलोक में मुझे लगता है भय,
और निर्जनता बेहद भारी …
तुम्हारी दुहाई है  !

मेरे ह्रदय में और चान्दनी नहीं बची
सूर्यलोक में लिपटकर बन्धा हुआ है मन ….

मुझे तुम
गौरैया
ही बन जाने दो ।

मूल बाँगला से मीता दास द्वारा अनूदित