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फिर नशे में डूब जाना चाहते हैं / उर्मिल सत्यभूषण

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फिर नशे में डूब जाना चाहते हैं
हम तुम्हारे पास आना चाहते हैं

याद की गठरी उतारें, सांस ले लें
आज सब कुछ भूल जाना चाहते हैं

धधकते ज्वालामुखी किसको पता है
बन के लावा फूट जाना चाहते हैं

तेरे कंधों से लगाकर सर को अपने
आज हम रोना रुलाना चाहते हैं

आ गले लग जा जरा सा थपथपा दें
आज पीना और पिलाना चाहते हैं

खाईं कसमें हंसने की उर्मिल ने, पर
आज तो आंसू बहाना चाहते हैं।