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फिर न इसी शब की सहर हो / आनंद कुमार द्विवेदी
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अल्लाह करे आप पर मौला की नज़र हो
अल्लाह करे आपका खुशबू का सफ़र हो
मेरे उठे हैं हाथ दुआओं में आज भी
अल्लाह करे मेरी दुआओं में असर हो
तेरी नज़र के ज़ख्म को जन्नत बना लिया
अल्लाह करे आपकी हर शय पे नज़र हो
इक शख्स दबे पाँव जहाँ से चला गया
अल्लाह करे आपको ये भी न ख़बर हो
‘आनंद’ अगर और शबे-ग़म हों राह में
अल्लाह करे फिर न इसी शब की सहर हो