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फिर बरसों तईं प्यारे / विष्णुचन्द्र शर्मा
Kavita Kosh से
दिल में
छेद है
दिमाग़ में
पानी...
कहाँ आरज़ू है कि
तुम इधर देखो
या प्यार बरसाओ !