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फिर भी ऐसा क्या है / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल

उगने के लिए
बालू है
मिट्टी है
पानी है
खाद है
क्या नहीं है उमगने के लिए

फिर भी
ऐसा क्या है
कि
मन नहीं लगता
जिद्दी पौधे –सा।