फिर मिलेंगे (फेरी भेटुंला) / कविता भट्ट
जब आप बैठते हो ट्रेन में
जाते हो दूर- किसी अपने से
ट्रेन की स्पीड के साथ
कदमताल करती धड़कनें
तेज़ होती जाती हैं-
स्टेशन के पीछे छूटते हुए
आपको लगता है जीवी
दम घुट जाएगा, साँसें रुक जाएँगी
आप दरवाज़े से बाहर झाँकते हुए
रोते हो बेतहाशा-
रुकता ही नहीं,
आँसुओं का सैलाब।
धीरे-धीरे ओझल हो जाता है-
आपका वह अपना- हाथ हिलाते हुए;
आप बर्थ पर ढेर हो जाते हो
फिर काँपते हाथों से
मोबाइल निकालकर-
कॉल लगाते हो;
उधर से आवाज आती है-
'रोओ मत, अपना ध्यान रखना
तुम्हें पता है ना, तुम्हारा रोना
दुनिया में सबसे बुरा लगता है,
आँसू पोंछो, मुस्कराओ,
जल्दी ही फिर मिलेंगे।'
फिर आप सिसकते हुए
धीरे-धीरे चुप हो जाते हो
इस उम्मीद में कि फिर मिलेंगे ही।
काश! दुनिया के स्टेशन पर खड़े होकर
जीवन की आखिरी ट्रेन में बैठे
किसी अपने को कोई अपना
ये दिलासा दे पाता-
रोओ मत, जल्दी ही फिर मिलेंगे!
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फिर मिलेंगे (फेरी भेटुंला)
मूल :डॉ.कविता भट्ट 'शैलपुत्री'
नेपाली अनुवाद
महेश चंद्र बराल ‘ओम श्री’
जब तिमी बस्छौ ट्रेन मा
जान्छौ टाढ़ा कुनै आफ्नो सित
ट्रेन को गति संगै
कदमताल गर्दै ढुकढुकी
बढदै जाने छ
स्टेशनहरु पछाड़ी छुटदै जादा
तिमीलाई लाग्ने छ
घांटी सुके झै , सांस रूके झै
तिमी ढोका बाट हेर्दै
रुन्छौ बेस्सरी
रुक्दैन आंसुको सैलाव
अलिअली गरि ओझेल हुन्छन
तिमी बर्थमा खसे झै हुन्छौ
फेरी थर्थराए का हातले
मोबाइल निकालेर
कॉल लगाऊछौ
उता बाट आवाज आऊछ!
न रुनु है, आफ्नो ध्यान राख्नु
तिमीलाई थाह नै छ नी, तिम्रो रुनु
संसारमा सबैलाई न राम्रो लाग्छ आंसु पोछ्नुस , मुस्कुराउनुस
छिटो फेरी भेटुंला।
फेरी तिमी सिसकदै
अलि अली गरी चुप हुन्छौ
यो आशा मा कि फेरी भेट हुने नै छ।
काश!संसारको स्टेशन मा उभिएर
जीवन को अंतिम ट्रेनमा बस्दा
कुनै आफ्नोलाई कुनै आफ्नो
यो भरोसा दिन सक्थ्यो
न रुनु, छिटो फेरी भेटुला।
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