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फिर मुझसे कभी आईना देखा न गया / त्रिपुरारि कुमार शर्मा

फिर मुझसे कभी आईना देखा न गया
शर्मिंदगी रही मेरी आंखों में उम्र भर

एक बार मैंने तुमसे बेवफाई की थी