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फिर शब-ए-ग़म ने मुझे शक्ल दिखाई क्योंकर / दाग़ देहलवी
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फिर शब-ए-ग़म ने मुझे शक्ल दिखाई क्योंकर
ये बला घर से निकाली हुई आई क्योंकर
तू ने की ग़ैर से मेरी बुराई क्योंकर
गर् न थी दिल में तो लब पर तेरे आई क्योंकर
तुम दिलाज़ार-ओ-सितमगर नहीं मैं ने माना
मान जायेगी इसे सारी ख़ुदाई क्योंकर
आईना देख के वो कहने लगे आप ही आप
ऐसे अच्छों की करे कोई बुराई क्योंकर
कसरत-ए-रंज-ओ-अलम सुन के ये इल्ज़ाम मिला
इतने से दिल में है इतनों की समाई क्योंकर
दाग़ कल तक तो दुआ आप की मक़बूल न थी
आज मूँह माँगी मुराद आप ने पाई क्योंकर