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फिर से मिलने के लिए / विपिन चौधरी
Kavita Kosh से
उसने बाज़ दफ़ा कहा
अब हम नहीं मिलेंगे
हम दुबारा मिले
फिर कभी न मिलने की
हिम्मत जुटाते हुए
यह
पुराने जीवन को
नए सिरे से जीने जैसा था
जीवन में हर बार एक नई गाँठ बाँध
उसे खोल देना
ख़ुद के एक वाजिब हिस्से को जानबूझ कर गुमा देना
फिर उसे ढूँढ़ने की जुगत लगाना
यही दुनिया है
प्रेम की
उसकी पैरेहन की
उसकी छोटी ख़ुशियाँ
और बड़े दुखों की