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फिर से / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
पुरानी किताब के
पियराए पन्नों में
आज
मिले हैं कुछ
सुर्ख गुलाब
हरे हो गए
अधूरे ख्वाब
फिर से।