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फिर -से मेरा आईना धुँधला हुआ / अनिरुद्ध सिन्हा
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फिर से मेरा आईना धुँधला हुआ
फिर से अपने घर में ही रुस्वा हुआ
फिर से चौंका दिल कहा ये क्या हुआ
फिर से जो चाहा नहीं वैसा हुआ
फिर से सारा कुछ वही उल्टा हुआ
फिर किसी के इश्क़ में धोखा हुआ
फिर से उसने सारी कसमें तोड़ दीं
फिर से मैं इस शहर में तनहा हुआ
फिर से तोड़ी पत्थरों ने खिड़कियाँ
फिर से नफ़रत का क़हर बरपा हुआ