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फुटा-फुटा के किया राज साथ भी न मिला / कैलाश झा 'किंकर'

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फुटा-फुटा के किया राज साथ भी न मिला
उठी है बात पुन: हक़ सही-सही न मिला।

मेरे करीब ग़मों का जो क़ाफ़िला आया
मदद के वास्ते कोई भी आदमी न मिला।

इसी ज़मीन पर आए थे मीर-गालिब भी
मगर मुकाम तो हज़रत को आख़िरी न मिला।

अदीब से तो मेरी बात रोज़ होती है
उन्हें तो आज तलक कोई अजनबी न मिला।

तमाम रात तो कश्मीर जागता रहता
ज़रा भी चैन का अवसर उसे कभी न मिला।

वतन-परस्त अमन-चैन चाहते निशिदिन
जो चाहिए था वतन को फ़क़त वही न मिला।