भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फुरती बोलॅ / कस्तूरी झा 'कोकिल'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घरनी बिना घोॅर की?
पत्नी बिना बोॅर की?
नारी बिना नोॅर की?
खेती बिना होॅर की?
गाँव बिना मड़ोॅर की?
छप्पर बिना खोॅर की?
तोरा रहतें कसोॅर की?

10/12/15 रात्रि 10 बजे।