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फुळ/ शिवराज भारतीय
Kavita Kosh से
फूल
थूं कितरो कंवळो
कितरो निंवळो
सौरम अर
फूटरापै रो
अखूट खजानो सो।
पण
थांरी सौरम
सांस रै
एक सबड़कै सूं
नीं धपा सकै
आगलो सबड़को लेवण री हूंस
जगाद्यै
हर लारलो सबड़को
लगोलग सांसां रा सबड़का भी
नीं धपा सकै
किणी नै
अर धपाण सूं पैलां
थूं आपरो
रूं-रूं अरप‘र
मोळो हुज्यै
स्यात्
नीं धपाण री
पीड़ सूं।